Wednesday, October 30, 2019

कश्मीर पहुंचे 23 विदेशी सांसदों ने क्या कहा

यूरोपीय यूनियन के 23 सांसदों का कश्मीर दौरा काफ़ी विवादित रहा. विपक्षी पार्टियों ने पूछा कि देश के सांसदों और एक्टिविस्टों को मोदी सरकार कश्मीर नहीं जाने दे रही है दूसरी तरफ़ विदेश सांसदों को कश्मीर भेज रही है.
सीपीएम और कांग्रेस ने पूछा कि अगर कश्मीर में सब कुछ सामान्य है तो विदेश के चुनिंदा सांसदों को ही क्यों जाने दिया गया. कई लोगों ने ये भी सवाल उठाए कि कश्मीर आंतरिक मामला है तो विदेशी सांसदों को क्यों भेजा जा रहा है?
मंगलवार जब 23 सांसदों का यह समूह श्रीनगर पहुंचा को भारतीय सेना के अधिकारियों से मुलाक़ात की और डल झील का भी भ्रमण किया. इन सांसदों का दौरा सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी में हुआ. बुधवार सुबह कश्मीर दौरे के बाद सांसदों ने मीडिया को संबोधित किया और अपना अनुभव साझा किया.
श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर का कहना है कि इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में स्थानीय मीडिया को नहीं आने दिया गया था. रियाज़ ने बताया, ''23 सांसदों का यह दल आते ही आर्मी मुख्यालय गया और सेना ही इन्हें नियंत्रण रेखा पर लेकर गई. नेशनल कॉन्फ़्रेंस के सांसद अकबर लोन ने कहा है कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को धोखे में रखने की कोशिश है.''
मीडिया से बातचीत में इस दल के एक सांसद ने कहा, ''हमलोग अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्सा हैं. भारत शांति स्थापित करने के लिए आतंकवाद को ख़त्म करने की कोशिश कर रहा है और हम इसका पूरा समर्थन करते हैं. हम भारत सरकार और स्थानीय प्रशासन को गर्मजोशी से स्वागत के लिए धन्यवाद देते हैं.''
कुछ सांसदों ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद एक गंभीर समस्या है. कुछ सांसदों ने कहा कि कश्मीर में समस्या है लेकिन भारत सरकार इसे सुलझा लेगी.
मंगलवार को कश्मीर में चरमपंथियों ने पाँच मज़दूरों की हत्या कर दी थी. इन सांसदों ने इसकी भी निंदा की. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार फ़्रांस के सांसद हेनरी मालोसे ने कहा, ''अगर हम अनुच्छेद 370 की बात करें तो यह भारत का आंतरिक मामला है. हमारी चिंता आतंकवाद को लेकर है और ये एक वैश्विक समस्या है, जिसमें हम भारत के साथ खड़े हैं. हम इसकी निंदा करते हैं.''
इस दल में शामिल ब्रिटेन के न्यूटन डन ने कहा, ''हम यूरोप के हैं और वर्षों के टकराव के बाद यहां शांति आई. मैं चाहता हूं कि भारत भी दुनिया का शांतिपूर्ण देश बने. हमें भारत के साथ खड़ा होने की ज़रूरत है क्योंकि वो आतंकवाद से लड़ रहा है. यह आंख खोलने वाला दौरा था.''
नई दिल्ली में जर्मन दूतावास के राजदूत वॉल्टर जे लिंडनर ने समाचार एजेंसी एएनआई से यूरोपीय यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे पर कहा, ''मैंने अख़बारों में इस दौरे को लेकर पढ़ा है. मैं यूरोपीय यूनियन के पक्ष को भी सुना है जिसमें उन्होंने कहा है कि यह बिल्कुल निजी दौरा है.''
यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के बाद किसी अंतर्राष्ट्रीय टीम को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी गई. पाँच अगस्त को मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बाँट दिया था.
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अमरीका के एक सीनेटर ने कश्मीर जाने के लिए कहा तो उन्हें नहीं जाने दिया गया. ईयू सांसदों के इस दल के दौरे पर ओवैसी ने कहा कि कश्मीर ऐरे-गैरे लोगों को भेजा गया. उन्होंने कहा कि यह एक प्रायोजित और फिक्स दौरा था.

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