नक्सल प्रभावित बस्तर में लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह है। यह
बात वोटर जागरूकता अभियान में सामने आई। इस दौरान यहां के लोगों ने बीजापुर
और सुकमा कलेक्टर को बताया कि वोट डालने के दौरान उंगली पर स्याही न लगाई
जाए, वरना उसे देखकर नक्सली मार देंगे। हम वोटिंग करना चाहते हैं, लेकिन
नक्सलियों का डर है।
अफसरों ने चुनाव आयोग से इस मामले में गाइडलाइंस बनाने और समाधान
निकालने को कहा है। इनका मानना है कि अगर ऐसा होता है, तो बस्तर में मतदान
में इजाफा होगा। बस्तर की 12 सीटों पर पहले चरण में 12 नवंबर को मतदान होना है। अफसरों से मिले सुझाव के बाद चुनाव आयोग इस पर विचार कर रहा है। पिछले
चुनावों की तरह इस बार भी माओवादी संगठनों ने बस्तर में चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की है। इसके लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगाए गए हैं।
हाथ चेक करते हैं नक्सली: मतदान के बाद नक्सली
गांव-गांव में लोगों के हाथ चेक करते हैं। किसी के हाथ पर स्याही मिले तो
परेशान किया जाता है, हत्या तक करने के मामले सामने आए हैं। इसलिए ग्रामीण
वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लेते। बीते चुनावों में बस्तर के अंदरूनी जिले
सुकमा, बीजपुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर में 100 से अधिक ऐसे बूथ सामने आए
थे, जिनमें वोटिंग 1 फीसदी से कम रही।
री-पोल को जीत बताते हैं : बेहद कम वोटिंग होने पर
आयोग ऐसे केंद्रों को नक्सल प्रभाव वाले मानकर री-पोल कराता है और नक्सली
इसे जीत के रूप में प्रचारित करते हैं। इसी माहौल को बनाए रखने के लिए इस
बार भी माओवादियों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है। वहीं, अफसर बस्तर के
भीतरी इलाकों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
मतदान के दिन ही फैसला लेंगे : सीईओ सुब्रत साहू का
कहना है कि नक्सल क्षेत्र में वोटर की उंगली पर स्याही न लगाने का सुझाव
आया है। यह मामला अभी विचाराधीन है, आयोग मतदान की तारीख के समय ही अंतिम
फैसला लेगा।क्सल क्षेत्र में राज्य की 21 सीटें: बिलाईगढ़,
बिंद्रानवागढ़, डौंडीलोहारा, कवर्धा, गुंडरदेही, पंडरिया, खैरागढ़,
डोंगरगांव, मोहला-मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल,
कोंडागांव, कोंटा, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा और
बीजापुर।
औसत वोटिंग 2% कम : छत्तीसगढ़ के नक्सल
प्रभावित इलाकों में मैदानी इलाकों के मुकाबले औसत वोटिंग 2% कम रहती
थी। 2013 के चुनाव से छह महीने पहले झीरम में कांग्रेस नेताओं की हत्या के
बाद इन इलाकों में वोटिंग सामान्य से करीब 6% कम हुई। छत्तीसगढ़ बनने से
पहले इन इलाकों में कांग्रेस की पैठ थी। 2003 में यह क्षेत्र भाजपा के गढ़
बन गए, अब फिर से कांग्रेस के पास हैं। यहां कांग्रेस की 9 सीटें बढ़ीं,
भाजपा की आधी रह गईं। सात सीटें ऐसी थीं, जहां पिछले चुनाव में 80% से
ज्यादा वोटिंग हुई। नक्सल प्रभावित छह सीटों पर किसी एक पार्टी को दोबारा
नहीं चुना गया।अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ग्लोबल ग्रोथ अनुमान 0.2% घटाकर
3.7% कर दिया है। लेकिन, चालू वित्त वर्ष (2018-19) में भारत के लिए 7.3%
पर बरकरार रखा है। हालांकि, अगले साल (2019-20) के लिए भारत की विकास दर
7.4% रहने की उम्मीद जताई है। आईएमएफ ने अप्रैल में 7.5% का अनुमान जारी
किया था।
आईएमएफ के मुताबिक कच्चा तेल महंगा होने और दुनिया के कई देशों
की वित्तीय हालत बिगड़ने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसलिए
अगले साल के लिए ग्रोथ अनुमान में कमी की गई। फिर भी भारत की विकास दर
दुनिया में सबसे तेज रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि भारत नोटबंदी और जीएसटी के असर
से उबर चुका है। देश में निवेश बढ़ रहा है और निजी क्षेत्र में खपत बढ़ी
है। मीडियम टर्म में भारत की विकास दर 7.75% रहने की उम्मीद है। इसे आर्थिक
सुधारों से फायदा होगा। हालांकि, अप्रैल में आईएमएफ ने 7.80% की उम्मीद जताई थी।
देश में इस साल महंगाई दर 3.6% रह सकती है। जबकि, अगले साल 4.7% रहने का
अनुमान है। आईएमएफ का मानना है कि तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई
दर में बढ़ोतरी होगी।
आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में अमेरिका, चीन और भारत की विकास दर के अनुमान में बदलाव नहीं किया। लेकिन, अगले साल (2019-20) के लिए भारत और
अमेरिका का ग्रोथ अनुमान 0.1% जबकि चीन का 0.2% घटा दिया।
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के ट्रेड वॉर से चीन
की विकास दर पर असर पड़ेगा। ग्लोबल ग्रोथ रेट के अनुमान में भी अमेरिका और
दूसरे देशों के बीच व्यापार विवादों की वजह से कमी की गई है। दुनियाभर में
आर्थिक गतिविधियों पर ग्लोबल ट्रेड वॉर का नकारात्मक असर हुआ है।