Tuesday, June 25, 2019

अमित शाह के कश्मीर दौरे से उपजी उम्मीदें

भारत सरकार के दूसरे सबसे ताक़तवर शख़्स और गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर आ रहे हैं.
उनका यह दौरा मिली-जुली भावनाओं वाले समय में हो रहा है जहां एक तरफ़ एनकाउंटरों में आम लोगों की मौत पर नाराज़गी है तो दूसरी तरफ़ केंद्र की ओर से सूबे में शांति स्थापित करने की इच्छा जताई गई है.
बतौर गृह मंत्री यह अमित शाह का पहला कश्मीर दौरा होगा. वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक और सेना के शीर्ष कमांडरों से मुलाक़ात करके हालात की जानकारी लेंगे.
माना जा रहा है कि वह कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थ अमरनाथ भी जा सकते हैं.
लेकिन अमित शाह के इस दौरे में सबसे ख़ास बात वो उम्मीद है जो हाल ही में राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान से उपजी थी. मलिक ने कहा था कि अलगाववादी समूह हुर्रियत कांफ्रेंस कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए बातचीत को तैयार है.
हुर्रियत नेतृत्व की ओर से भी बातचीत को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं और कहा गया है कि शांति स्थापित करने और कश्मीर मसले के हल के लिए किसी भी 'इंडो-पाक क़दम' का समर्थन किया जाएगा.
पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह से हुई बातचीत में हुर्रियत प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे समूह के पूर्व चेयरमैन अब्दुल ग़नी बट ने कहा, "जंग कभी भी विकल्प नहीं है. दोनों देशों को युद्ध और ध्वंस से आगे सोचना होगा. हमें बात करने की ज़रूरत है और हम तैयार हैं."
सूबे में भारत के पक्षधर नेता केंद्र की कश्मीर नीति में बदलाव के आसार देखते हुए उत्साहित हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती ने लगभग एक जैसे बयानों में कश्मीर के अलगाववादियों और पाकिस्तान से सार्थक संवाद की वकालत की है.
पूर्व विधायक और कश्मीर के मुखर नेता इंजीनियर रशीद का कहना है, "मीडिया का एक हिस्सा कह रहा है कि हुर्रियत ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. हुर्रियत की एक भूमिका है और अमित शाह को भी उदारता दिखानी चाहिए."
रशीद 'हिंसा के दुष्चक्र को ख़त्म करने और हल की प्रक्रिया शुरू करने के लिए' चरमपंथी नेतृत्व से भी बातचीत की वकालत करते हैं.
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में सूबे में हिंसक विरोध प्रदर्शन, एनकाउंटर, हत्याएं, पाबंदियां, गिरफ्तारी और राजनीतिक समूहों पर प्रतिबंध की घटनाएं देखने को मिली थीं. लेकिन अब यहां कई लोग मानने लगे हैं कि नई मोदी सरकार 'कश्मीर मसले के सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक हल को लेकर अधिक आत्मविश्वासी नज़र आती है.'
हालांकि अतीत में दिल्ली और श्रीनगर के बीच वार्ता की कई कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाई हैं इसलिए नौजवान कश्मीरी आशंकाओं से भरे हुए हैं. श्रीनगर में रहने वाली रिसर्च स्कॉलर इंशा आफ़रीन कहती हैं, "पुलिस नौजवानों के पीछे पड़ी है, ज़्यादातर हुर्रियत नेता जेल में हैं और लोग मारे जा रहे हैं. बातचीत का एजेंडा क्या होगा और बात कौन करेगा?"
हालांकि नौजवान लेखक एजाज़ को अमित शाह के दौरे से उम्मीदें हैं. वह कहते हैं, "अगर राज्यपाल का प्रशासन स्थिति के नियंत्रण में होने और सब कुछ पटरी पर लौटने का दावा कर रहा है तो हमें उम्मीद है कि अमित शाह अच्छी ख़बर के साथ यहां आ रहे हैं."
अतीत में दिल्ली-श्रीनगर के बीच बातचीत की छह से ज़्यादा कोशिशों में आम सहमति नहीं बन सकी है क्योंकि दोनों पक्ष अपनी शर्तों से डिगने को तैयार नहीं हुए.
श्रीनगर में रहने वाले पत्रकार और विश्लेषक रियाज़ मलिक कहते हैं, "दिल्ली अपनी शर्तें थोपना चाहती है. हुर्रियत भी पीछे हटने को तैयार नहीं. अगर अमित शाह के पास कोई बीच का रास्ता है और वो किसी फॉर्मूले के साथ आ रहे हैं तो हम गतिरोध टूटने की उम्मीद कर सकते हैं."
भारतीय गृह मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, भारत प्रशासित कश्मीर में बीते तीन साल में सात सौ चरमपंथी मारे गए हैं. इसके अलावा एनकाउंटर की जगहों पर सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वाले 150 से ज़्यादा आम लोगों की मौत हुई है. अमित शाह जब कश्मीर में बोलेंगे तो इतने वर्षों से मौत, तबाही और पाबंदियों के बीच रहते हुए ज़्यादातर कश्मीरी उनसे हृदय-परिवर्तन की उम्मीद लगाए बैठे होंगे.

Tuesday, June 18, 2019

工行能否履行气候承诺将在南非见分晓

明天,标准银行的股东们将就是否披露和报告气候风险进行投票。用一位专家的话说,此举迈出了“开创性的一步”。

这项决议是由标准银行的股东提出的。中国工商银行拥有标准银行20.1%的股份,所以它的决定将直接影响投票结果。

中国工商银行是全球最大的银行,并参与了气候相关财务信息披露工作组(TCFD)和其他多个类似倡议活动。所以,本次投票也被认为是对中国工商银行气候诚信的一次检验。观察家们不禁想问:“中国工商银行会做出正确的选择吗?”

业内首次就气候风险公开投票

这项股东决议的提出还要归功于南非非盈利组织RAITH Foundation和股东活动家西奥·博塔,并得到了投资者行动组织JustShare的支持。这也是约翰内斯堡证券交易所上市公司中首个由股东提出的有关气候风险的决议

去年,这些股东和组织联盟还向南非最大的碳排放机构—能源化工企业萨索尔(SASOL)提交了类似的决议申请。但是萨索尔公司拒绝了这个提案,股东投票自然也就没有举行。

JustShare执行董事特雷西·戴维斯表示,标准银行能够接受股东提案,这对南非地区的负责任投资来说是“突破性的一步”。

戴维斯指出:“这是他们(南非投资者)第一次需要向客户明确表明自己对气候风险的认真态度。”

这个决议包括两部分。首先,要求银行评估和报告其投资行为导致的温室气体排放,以及银行因此面临的气候风险。其次,要求银行必须全面披露其煤电融资政策(目前公开的只有一份媒体公告),并将该政策拓展到煤炭开采领域

披露气候风险依据的理念是,对污染性行业的投资最终都将成为风险资产。披露此类风险符合投资者的利益,因为他们需要这类信息来做出合理的投资决策。同时,这也符合全球经济从碳密集型资产转型的需要。

近些年来,这一理念在股东中间越来越有市场,建立气候相关财务信息披露工作组(TCFD)更是体现了这一点。TCFD成立于2015年,宗旨是“制定企业向投资者、债权人、保险公司及其他利益相关方提供相关信息时使用的、自愿、一致的气候相关风险披露原则”。如今,TCFD已经拥有了580个组织成员。

工行与气候承诺

决议通过至少需要50%的股东投赞成票。但是,提出这项决议的团体只拥有不到0.001%的投票权。而全面支持这项决议的资管经理公司Mergence Investment Managers只有不到0.4%的投票权。

中国工商银行拥有标准银行五分之一的股份,是该行目前最大的股东。中国工商银行已经在2017年6月加入了TCFD,也是中国唯一一家参与这一组织的银行。而目前,还没有一家南非银行参与这个组织。

JustShare和Mergence指出,这项决议被提上标准银行股东大会的议程与TCFD的建议是一致的,而Mergence更是称TCFD的建议是气候风险披露领域的“全球最佳实践”。

包括中国工商银行在内的TCFD成员在2017年6月声明:“通过签署这份协议,我们很自豪地表达了自己对更好地披露气候相关风险和机遇的坚定支持。同时,我们也敦促其他商业领袖也加入我们的行列。”

通过中英TCFD试点小组,中国工商银行还签署了自己的气候风险披露时间表,并计划于今年年底开始实施。

绿色和平组织东亚地区可持续金融项目负责人劳伦·胡莱特认为,秉承自己有关气候风险披露的承诺,中国工商银行应当投票赞成这项决议。但是她也强调,工行的言行其实并不一致。比如在2018年的气候风险披露项目的排名中,中国工商银行的评分只有F。

胡莱特说:“中国工商银行多次公开表示支持气候风险披露。如今,面对这样一个信息披露的约束性要求,工行也的确该表明自己真实的态度了。”

可能的结果

标准银行董事会已经建议股东投票否决这一决议,因为董事会认为,南非政府目前的环境、社会和监管措施以及碳报告制度已经能够解决股东关切的问题。

中国工商银行还没有公开表示自己的投票意向。但是,JustShare的戴维斯认为,在标准银行董事会拥有两个席位的工行不大可能会赞成这项决议,而且建议其他股东反对这一决议的决定很有可能就是受到了工行的影响

绿色和平的胡莱特表示,投票仍然是一个“试金石”。

“通过这次投票,中国工商银行有机会表明,他们深刻地认识到了气候风险披露对环保的重要性。”